किसान विरोधी काले कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों के समर्थन में जुझारू आंदोलन (CWP)
मित्रों हमारे देश के किसान विगत 26 नवंबर 2020 से लगातार इस कड़ाके की ठंड और बारिश में दिल्ली के चारों ओर सड़कों पर लाखों की संख्या में केंद्र सरकार की काले कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। इस आंदोलन में अब तक सैकड़ों लोग अपनी जान की कुर्बानी दे चुके हैं ।और किसानों की मौत की संख्या अब दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है ।लोग सड़कों पर उतर आए हैं ।
भूख प्यास की उनको खबर नहीं है लेकिन अब तक इस गूंगी बहरी तथा निर्दई और अड़ियल मोदी सरकार के कानून तक जूँ तक नहीं रेंगती, एक और किसान के प्रतिनिधियों से वार्ता का नाटक चल रहा है ,तो दूसरी तरफ आंदोलन को तोड़ मरोड़ कर कमजोर करने के लिए शुरू से विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
आंदोलनकारियों पर आंसू गैस के गोले ,बेधड़क लाठीचार्ज ,व इस कड़ाके की ठंड में ठंडे पानी के फव्वारे की बौछार जैसी दमनात्मक कार्यवाही तो कभी खालिस्तानी ,पाकिस्तानी, माओवादी ,देशद्रोही कह कर बड़े किसानों का आंदोलन तो कभी राजनीति से प्रेरित विरोधियों के बहकावे में तथा कभी पंजाब हरियाणा का आंदोलन बताकर देश की जनता को गुमराह करने का षड्यंत्र मोदी सरकार व दलाल गोदी मीडिया पूरी ताकत के साथ लगी हुई है ।
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सबसे खुशी की बात यह है कि इनके षड्यंत्र को नाकाम कर जीवन मौत से जूझते हुए आंदोलनकारियों का जत्था लगातार ताकतवर होते हुए फौलादी उत्साहित हौसलों के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। इसलिए कि यह कानून देश में कृषि उत्पादन ,आवश्यक वस्तुओं की लिमिट समाप्त कर अगाध जमाखोरी की छूट पूजी पतियों को दे रखा है । जिसके सहारे जमाखोर कृत्रिम बाजार संकट पैदा कर बेतहाशा महंगाई को बढ़ाएंगे । और आम जनमानस को लूट कर मालामाल होंगे, किसानों की जमीन पूजी पतियों को ठेके पर देने का प्रावधान किया गया है ।
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पूंजीपति किसानों से जमीन ठेके पर लेंगे और वह अपनी तरफ से मनचाहा खेती करवाएंगे जैसे इसके पहले गुलाम भारत में अंग्रेज किसानों से नील की खेती करवाते थे इसी तरह खेती में प्रवेश कर जमीन को भी कारपोरेट के हवाले करने का षड्यंत्र है ,किसान अपने ही खेत में मजदूर बन जाएंगे तथा सबसे गंभीर बात तो यह है कि इस प्रसंग में किसान व पूजी पतियों के बीच उत्पन्न कोई भी विवाद को लेकर किसान कोर्ट भी नहीं जा पाएंगे मंडी,पैक्स जैसी तमाम सरकारी (सार्वजनिक संस्थान) धीरे-धीरे निजी संस्थानों में बदल जाएंगे जिसका अभियान मोदी सरकार पहले ही शुरू कर चुकी है । किसान आंदोलन की मांग है न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना व उसे कानूनी अधिकार देना लेकिन इस दिशा में सरकार का कोई पहल नहीं है । यह कानून किसान को मजदूर व भूमिहीन बनाकर तथा आम लोगों को महंगाई की आग में झोंक कर कारपोरेट को मालामाल बनाने एवं लोकतंत्र को ध्वस्त कर कारपोरेट राज बनाने का षड्यंत्र है।
देश के सचेत व जागरूक किसानों ने जब इस कानून के खतरे को समझा तो जान की बाजी लगाकर संघर्ष के मैदान में उतर गए हैं ।और इसका डटकर मुकाबला कर रहे हैं। इसलिए आप लोगों से विनम्र निवेदन है कि इस आंदोलन को हर प्रकार से सहयोग देकर व कार्यक्रमों में शामिल होकर इसे जीत की मंजिल तक पहुंचाने में ऐतिहासिक भूमिका अदा करे ।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ कम्युनिस्ट वर्कर्स प्लेटफार्म उत्तर प्रदेश (CWP)