पंचायत चुनाव में प्रभावशाली लोगों को एजेंट बनने की राह में दीवार बनेगा प्रशासन
स्वस्थ और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए प्रशासन ने कसी कमर
शांतिपूर्ण और स्वस्थ मतदान कराना है एक मजबूत लोकतंत्र की पहचान है पंचायत चुनाव में लोगों को प्रत्यक्ष रूप से अपने प्रत्याशी को जानने और पहचानने का अवसर मिलता है इसलिए पंचायत चुनाव बहुत ही कठिन माना जाता है वहीं प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती भी इसलिए प्रशासन इस बार पूरी तरीके से चाक-चौबंद होकर चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए कमर कस चुका है। पंचायत चुनाव में इस बार प्रत्याशियों की ओर से बनाए जाने वाले पोलिंग एजेंटों का भी सत्यापन होगा।
संबंधित थाना प्रभारी की अनुमति के बाद ही मतदान व मतगणना के पोलिंग एजेंट बन सकेंगे। किसी प्रभावशाली व्यक्ति को एजेंट बनाने की अनुमति नहीं मिलेगी।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तिथियों की अभी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मार्च-अप्रैल के बीच चुनाव कराए जा सकते हैं। आयोग के आदेश पर पुलिस प्रशासन भी अमल कर रहा है।
संवेदनशील मतदान केंद्रों को नए सिरे से खंगाला जा रहा है। आयोग ने निर्देश दिया है कि इस बार प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंटों का भी सत्यापन किया जाएगा सरकारी सेवा, आपराधिक मुकदमे दर्ज होने और उच्च राजनैतिक पद पर रहने वाले व्यक्तियों के बूथ एजेंट बनने पर पाबंदी लगाई गई है पिछले चुनावों में सामने आया था कि ऐसे लोगों को पोलिंग एजेंट बनाकर कई प्रत्याशियों ने लोगों को धमकाकर व लालच देकर अपने पक्ष में मतदान करा लिया था इससे इस बार मतदान से दस दिन पहले प्रत्याशी पुलिस या चुनाव अधिकारी को पोलिंग एजेंट की सूची देंगे।
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प्रशासन इन्हें मानता है प्रभावशाली
चुनाव आयोग की मंशा है कि आपराधिक रिकार्ड, सरकारी सेवा और उच्च पद के जनप्रतिनिधियों को पंचायत चुनाव में पोलिंग एजेंट नहीं बनाया जाएगा। सत्यापन और छानबीन के बाद ही पोलिंग एजेंट बनाने की अनुमति दी जाएगी।
असलहाधारियों पर है प्रशासन की नजर
पंचायत चुनाव को देखते हुए पुलिस अफसरों के आदेश पर सभी गांवों के शस्त्र लाइसेंसधारकों का भी ब्यौरा जुटा रही है। सभी का ब्यौरा आने के बाद असलहे जमा कराए जाएंगे। हालांकि बहुत से लाइसेंसधारक पंचायत चुनाव को करीब आते देख अपने असलहे दुकानों पर जमा कराने लगे हैं।
मनोज यादव संवाददाता