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आरक्षण के पिंजरे में फंसी प्रत्याशियों की जान
मनोज यादव संवाददाता
सियासी पिच पर आरक्षण का सस्पेंस
पंचायत चुनाव का रोमांच हर बार सर चढ़ कर बोलता है लेकिन इस बार आरक्षण का खेल ही इतना रोमांचक बन गया है कि जनप्रतिनिधि बनने की आकांक्षा मन मे लिए प्रत्याशियों धड़कनों को बढ़ा कर उनकी साँसों में त्वरित उतार चढ़ाव से उसे बेकाबू कर दिया है। मजे की बात है कि आरक्षण जारी होने के बाद कई प्रत्याशियों ने जमकर खर्च शुरू कर दिया था क्षेत्ररक्षण भी सज गया था हर जगह सियासी जाल बिछाकर मतदाताओं को अपने पाले में मिलाने की कवायद भी शुरू हो गई थी।
लेकिन हाइकोर्ट के एक याचिका ने पहले से तैयारी में जुटे प्रत्याशियों के माथे की शिकन को जंहा गहरा कर दिया वंही आरक्षण की चपेट से किनारे आ गए प्रत्याशियों को फिर से चुनावी भंवर में घुसने की नई रोशनी दे दी है। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में जितनी सरगर्मी और रोमांच पंचायत चुनाव में नहीं दिखाई देती है उतना रोमांच तो आरक्षण के खेलने ही बना दिया है।
मनोज यादव संवाददाता