Raja's politics is seen in danger in Kunda and Babaganj
NEWSINDIA80 – 2G हमले से हिलने लगी है जनसत्ता दल की बुनियाद
उत्तर प्रदेश चुनाव का परिणाम 10 मार्च को आयेगा पर कयास का बाजार अभी से गर्म है। उत्तर प्रदेश की बहु चर्चित विधानसभा कुंडा और बाबागंज पर फिलहाल 3दशक से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का सिक्का चल रहा है पर 2022 के चुनाव में इस सिक्के की चाल डगमगाती दिख रही है। ( यह भी पढ़ें > सामूहिक दुष्कर्म के बाद दलित किशोरी की हत्या ) अखिलेश यादव ने कुंडा से गुलशन यादव और बाबागंज से गिरीश पासी को मैदान में उतार कर राजा के सियासी सफर को संकट में डाल दिया है।
अब तक निर्दलीय जीतते रहे राजा भैया और बाबागंज से उनके समर्थित प्रत्याशी विनोद सरोज पहली बार अपनी नई पार्टी जन सत्ता दल लोकतांत्रिक के परचम तले चुनावी मैदान में हैं वहीं पहली बार ही उन्हें इन दोनों विधानसभाओं पर कठिन लड़ाई से जूझना पड़ रहा है। गुलशन और गिरीश के रूप में अखिलेश यादव ने राजा भैया के सामने दोधारी तलवार लटका दी है। गुलशन यादव और गिरीश पासी को अप्रत्याशित और राजा भैया के खिलाफ अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है । ( यह भी पढ़ें > भाजपा प्रत्याशियो की होगी जमानत जब्त – राम सिंह पटेल )
बढ़ रहा है गुलशन यादव और गिरीश पासी का जनाधार
चुनावी जंग में जुबानी जंग का रंग दिन ब दिन सुर्ख होता जा रहा है। गुलशन और गिरीश का काफिला दिनों दिन बढ़ रहा है। जिसकी वजह से जन सत्ता दल के नेता और कार्यकर्त्ता तनाव महसूस कर रहे हैं। जो राजा भैया पहले अपने समर्थकों को संदेश भेजकर चुनाव जीत लिया करते थे वही राजा भैया इस बार गांव-गांव नुक्कड़ सभा करते घूम रहे हैं। ( यह भी पढ़ें > पुलिस ने कार सहित तीन शातिरो को पकड़ा )
गुलशन यादव और गिरीश पासी सपा के परचम तले पूरी तरह से बदलाव का बवंडर उठाने में लगे हुए हैं। गिरीश पासी अपने समर्थकों को उत्साहित करने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि अब बाबागंज और कुंडा के लोगों ने पूरी तरह से सपा को जिताने का मन बना लिया है। हर जाति समाज के लोग यहाँ आजादी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।
गिरीश पासी और गुलशन यादव के साथ दिख रही भीड़ अगर पूरी तरह से वोट में बदलती है तो निश्चित रूप से पहली बार राजा भैया को जीत से दूर होना पड़ सकता है। गुलशन यादव और गिरीश पासी के जनाधार का ग्राफ जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है उससे राजा भैया की जीत के समीकरण खतरे में पड़ गए हैं।
कुंडा और बाबागंज विधानसभा के चुनाव में लगभग 25 साल बाद सायकिल की वापसी हुई है जिसकी वजह से भी सायकिल के समर्थक खासा उत्साहित हैं और वह किसी भी कीमत पर अपने प्र्त्यासी को विधानसभा में पंहुचाना चाहते हैं।
रिपोर्ट : अंकुश यादव