रूर में किसानों ने खड़ा किया विशाल आंदोलन
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रूर में किसानों के संघर्ष ने खड़ा किया विशाल आंदोलन, अमृत महोत्सव पर किया जा रहा है रणबाकुरों को याद
पट्टी
जहां एक तरफ आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के चारों तरफ शोर है । वहीं शहीद स्थल रूर किसानों की एकजुटता और उनके जज्बे से अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी।ब्रिटिश हुकूमत किसानों के ऊपर जुल्म और ज्यादती करके उनसे मनमाना कर वसूल रही थी । किसान भूखे मर रहे थे । मूल रूप से महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले बाबा रामचंद्र गिरमिटिया मजदूर के रूप में विदेश गये और जब भारत आए तो रामचरितमानस का पाठ करने लगे और घूमते टहलते हुए पट्टी तहसील के रूर गांव पहुंच गए |
जमीदारो द्वारा किए जा रहे हैं उत्पीड़न और अत्याचार से वह आहत हो गए और इसका विरोध करने का बीड़ा उन्होंने उठा लिया उनका बखूबी साथ दिया ठाकुर झिंगुरी सिंह और सहदेव सिंह ने अब किसान एकजुट थे । किसी गांव पर अगर अंग्रेज जुल्म करते तो आसपास के गांव के लोग जय जय सीता राम का नारा लगाते हुए भागते तो सभी लोग एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध करते हैं । बाबा रामचंद्र के नेतृत्व से फिरंगी घबरा गए 6 जून 1920 को महात्मा गांधी से मिलने की हसरत रखते हुए बाबा रामचंद्र की अगुवाई में यहां के एक दर्जन किसान इलाहाबाद गए वहां पर महात्मा गांधी से मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू किसानों की बातों को बखूबी सुना और समझा और जून के महीने में ही वह रूर गांव पहुंच गए ।
अब किसानों को बौद्धिक बल मिला तो साथ ही साथ उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा नेता मिला जो उनकी बात को बखूबी समझ सकता था । अंग्रेज साजिश करके बाबा रामचंद्र को फंसाना चाहते थे । 28 अगस्त सन 1920 को पट्टी तहसील के लखरावा बाग में लकड़ी चोरी के आरोप में फिरंगी बाबा सहित एक दर्जन किसानों तथा कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध ताजिराते हिंद की धारा 379 का गंभीर आरोप लगाया और सितंबर के पहले सप्ताह में बाबा को गिरफ्तार कर लिया । जिससे किसान आक्रोशित हो गए और जिला जेल को किसानों ने घेर लिया ।
माता बदल पांडे सहित अन्य वकीलों ने बाबा की जमानत कराई। बात सन 1920 की है 17 अक्टूबर 1920 को यहां पर अवध किसान सभा का गठन हुआ पंडित जवाहरलाल नेहरू किसानों का हौसला अफजाई करने के लिए रूर पहुंचे और उनके साथ माता बदल पांडे भी थे बाबा रामचंद्र की अगुवाई में किसान आंदोलन की नींव रखते हुए उन्होंने मौजूद किसानों को संबोधित किया । बाबा राम चंद्र ठाकुर झिंगुरी सिंह, काशी वर्मा, अयोध्या वर्मा, प्रयाग वर्मा मातादीन वर्मा किसान नेता के रूप में सभी किसानों को एकजुट किया अवध किसान सभा का गठन होने के बाद पूरे अवध प्रांत के किसान एकजुट होकर के जमीदारों और फिरंगी उनके इस उत्पीड़न का डटकर विरोध शुरू कर दिया।
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