Tuesday, February 11, 2025
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बंधुओ,मृतक भोज मत खाओ-महेश प्रजापति

मृत्यु भोज पर कविता

mrityu bhoj 1जिस आँगन में पुत्र शोक से
बिलख रही माता,
वहाँ पहुच कर स्वाद जीभ का तुमको कैसे भाता।

पति के चिर वियोग में व्याकुल
युवती विधवा रोती,
बड़े चाव से पंगत खाते तुम्हें पीर नहीं होती।

मरने वालों के प्रति अपनासद व्यहार निभाओ,
धर्म यही कहता है बंधुओ मृतक भोज मत खाओ।

चला गया संसार छोड़ कर
जिसका पालन हारा,
पड़ा चेतना हीन जहाँ पर वज्रपात दे मारा ।

खुद भूखे रह कर भी परिजन
तेरहवी खिलाते,
अंधी परम्परा के पीछे जीते जी मर जाते।

इस कुरीति के उन्मूलन का
साहस कर दिखलाओ,
धर्म यही कहता है बंधुओ,मृतक भोज मत खाओ।

 

महेश कुमार प्रजापति जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय भागीदारी पार्टी पी

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